Bhakti Yog Adhyay
यदि तू मन को मुझमें अचल स्थापन करने के लिए समर्थ नहीं है, तो हे अर्जुन! अभ्यासरूप (भगवान के नाम और गुणों का श्रवण, कीर्तन, मनन तथा श्वास द्वारा जप और भगवत्प्राप्तिविषयक शास्त्रों का पठन-पाठन इत्यादि चेष्टाएँ भगवत्प्राप्ति के लिए बारंबार करने का नाम 'अभ्यास' है) योग द्वारा मुझको प्राप्त होने के लिए इच्छा कर॥
الفئة
عرض المزيد
تعليقات - 0
مقاطع الفيديو ذات الصلة على Bhagwat Geeta - Adhyay 12 - 9 | Bhakti Yog | Sanskrit Shlok With Pronunciation: