जनशताब्दी एक्सप्रेस(हरिद्वार से अमृतसर) में दो बच्चों से मुलाकात हुई। पत्थर के दो टुकड़ों को बजाते हुए देखिए किस अंदाज में यात्रियों का मनोरंजन कर रहे हैं।
इनके हुनर को शायद ही कभी पहचान मिल पाए।
आज भी हिंदुस्तान का असली हुनर ट्रेन के डिब्बों में, शहरों की गलियों में और पहाड़ के खेत खलियानों में यूहीं सँघर्ष करता हुआ मिलेगा।
आओ जितना हो सके उस स्तर पर इन जमीन के तारों का मनोबल बढ़ाएं।